मुझको हँसा- हँसा के रुलाने लगे हैं वो !
मत पूछिये के कैसे सताने लगे हैं वो ! !
आए हुए तो उनको अभी दो घड़ी हुईं !
क्या हो गया किस बात पे जाने लगे हैं वो ! !
हमने ही उम्र भर कोई शिकवा नहीँ किया !
एहसान आज हम पे जताने लगे हैं वो ! !
ठुकराया था जिन्होंने कभी ज़र की चाह में !
फिर आज मुझको अपना बनाने लगे हैं वो ! !
नींदें चुराते हैं मेरी आ- आ के ख़्वाब में !
बरसों का थमा दर्द जगाने लगे हैं वो ! !
अश्कों से हँसते खेलते ये ज़िन्दगी कटी !
मय्यत पे आज अश्क बहाने लगे हैं वो ! !
जबसे सुना उन्होंने मोहब्बत का है मज़ार !
आ-आ के रोज़ फूल चढ़ाने लगे हैं वो ! !
डसने लगी हैं अब तो बहारें भी ऐ " नदीम " !
और जिस्मो-जाँ में आग लगाने लगे हैं वो ! !
मोबाईल नंबर +919953828206
नदीम सिद्दीक़ी
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