तेरे हुक्म पे इल्तिज़ा पे लिखूँगा |
मैं अब शेर तेरी अदा पे लिखूँगा |
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अगर मिल गई जो हुकूमत जहां की
तेरा नाम मैं आसमाॅ पे लिखूँगा |
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आप का इस्तक़बाल है हमारी छोटी सी इत्तेहाद ऐ अदब की महफ़िल में हम उम्मीद करेंगे के आपको हमारी शायरी पसंद आये यहाँ कुछ हम कुछ दोस्त शुरुआत कर रहे है। शायरी का मुकाम हासिल करने के लिए बस आप सब की दुआए चाहिए यहाँ आपको शायर गुलज़ार राजा अंसारी नसीम सिद्दीकी ख़ान जी मोहम्मद हारिस नसीम आज़मी हकीम दानिश मोहम्मद सरवर अली खान रहीश पीतमपुरी और कई शायर मिलेंगे
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