शुक्रवार, 22 अप्रैल 2016

Lout aati hai

दुआ मै हाथ उठतें ही तरंगे लोट आती है |
तेरे दर से दवा बनकर उमंगे लौट आती है |

गुमां में तैर तो जाती हैं वो ऊँचीं उड़ानों में,
मगर जब शाम होती है पतंगे लौट आती है |

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बुधवार, 20 अप्रैल 2016

पैरवी

जिद कहूँ या जुस्तजू की पैरवी |
दिल करे अब आरजू की पैरवी |

छोड दी है अब खुदा पर अस्मतें,
अब कठिन है आबरू की पैरवी |

कत्ल का किस्सा बयां करती रही,
सुर्ख   होठों  पे  लहू  की  पेरवी |

चांद तारों को सुबह ले जायगी ,
फिर करूं क्यूं फालतू की पैरवी |

रात दिन है ज़ेहन से दिल लड़ रहा,
कर  रहा  है  गुफ्तगू  की  पैरवी |

☪RAIS PITHAMPURI☪