मंगलवार, 26 मई 2015

*ग़ज़ल *

************ग़ज़ल*************
ज़िन्दगी में मेरी वो ना आती तो अच्छा था।
नगमे प्यार के ना सुनाती तो अच्छा था।

बड़ी शान से जीता था' अब टुटा हूँ बहुत
गुलाब है वो' कांटो में ही रहती तो अच्छा था।

सो रहा था मैं' बड़े सुकून के साथ
खयालो में मेरे वो ना आती' तो अच्छा था

उसके दिए ज़ख्म रख लेता' तोहफ़ा समझके
यूँ सरे आम मुझको ना रुलाती' तो अच्छा था।

करती बेवफ़ाई मेरे साथ वो ख़ुशी से' मग़र
गुलज़ार को राजा ना बनाती तो अच्छा था

राईटर~गुलज़ार राजा अंसारी
09997973503

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