आ जाओ दिल उदास है वीराँ है ज़िन्दगी !
आलम ये है के मौत का उनवाँ है ज़िन्दगी ! !
दिल की शिकस्तगी की शिकायत भी क्या करें !
ख़ुद अपने इन्तिख़ाब पे हैराँ है ज़िन्दगी ! !
इक बावफ़ा का साथ हो जिसके नसीब में !
उसके लिए बहार ब- दामाँ है ज़िन्दगी ! !
बदले हुए निज़ाम का आलम ही और है !
अब पूछिये न कितनी परेशाँ है ज़िन्दगी ! !
ऐ रहबराने मुल्क मुझे तुम ही कुछ बताओ !
क्यों अम्न की फ़ज़ा से गुरेज़ाँ है ज़िन्दगी ! !
अब आशियाँ किसी का जलाया न जाएगा !
दिल साफ़ है तो दर्द का दरमाँ है ज़िन्दगी ! !
एक एक ज़ख़्म तोहफ़ा है उनका ही ऐ " नदीम " !
उनके करम से रश्के - गुलिस्ताँ है ज़िन्दगी ! !
- - - - - नदीम सिद्दीक़ी - - - - -
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