मेरी तमन्ना, मेरा प्यार, मेरा कारोबार,
लगा है मौत का बाजार उसकी निगाहों में ।
फिजा का रंग और चांद सितारो की
चमक है उस की पनाहों में ।
शराफ़त की हद हुई इशारा वो जरा समझें,
तौड कर सारी रस्में भरूंगा उसको बाहों में ।
जो उनके तबस्सुम के दीदार मे बेमौत मर मिटे,
ऐ नसीम मैं भी शामिल हूँ उन्हीं बेगुनाहों में ।
जिंदा तो ठीक ही ठीक मुर्दे भी मचल उठे,
जब पायल उसकी सुनाई देती है शमशानगाहों में ।
Rahishpithampuri786@gmail.com
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