सोमवार, 25 मई 2015

तेरे नाम गज़ब गुमनाम ☆★

मेरी तमन्ना, मेरा प्यार, मेरा कारोबार,
लगा है मौत का बाजार उसकी निगाहों में ।

फिजा का रंग और चांद सितारो की
चमक है उस की पनाहों में ।

शराफ़त की हद हुई इशारा वो जरा समझें,
तौड कर सारी रस्में भरूंगा उसको बाहों में ।

जो उनके तबस्सुम के दीदार मे बेमौत मर मिटे,
ऐ नसीम मैं भी शामिल हूँ उन्हीं बेगुनाहों में ।

जिंदा तो ठीक ही ठीक मुर्दे भी मचल उठे,
जब पायल उसकी सुनाई देती है शमशानगाहों में ।

Rahishpithampuri786@gmail.com

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