*ग़ज़ल*
बारिश में संग उसके'नहाने का मन है।
पलो को उन यादगार'बनाने का मन है।
बारिश की बुँदे जो गिरे' होठो पर उसके
उन बूंदों को होठो से अपने'उठाने का मन है।
देख ले गर वो प्यार से'मेरी इन आँखों में
मुझे उसकी झील सी आँखों में'डूब जाने का मन है।
ठिठुर जाए गर वो बूंदों से' बारिश की
आगोश में उसे अपने' छुपाने का मन है।
कुछ कहती है दुनिया तो' कहने दो "गुलज़ार"
तुम्हे भी ज़िन्दगी अपनी'ख़ुशी से बिताने का मन है।
गुलज़ार राजा अंसारी
गुलज़ार भाई बहुत खूब
जवाब देंहटाएंNaseem bhai aapke mail me ek link aaya hoga aap use activate karo aapka naam bhi page pe aa jayega abhi khanji bhai aur mera hi aaya hai
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