शनिवार, 16 मई 2015

रोज़ एक शायर आज गुलज़ार राजा अंसारी

*ग़ज़ल*
बारिश में संग उसके'नहाने का मन है।
पलो को उन यादगार'बनाने का मन है।

बारिश की बुँदे जो गिरे' होठो पर उसके
उन बूंदों को होठो से अपने'उठाने का मन है।

देख ले गर वो प्यार से'मेरी इन आँखों में
मुझे उसकी झील सी आँखों में'डूब जाने का मन है।

ठिठुर जाए गर वो बूंदों से' बारिश की
आगोश में उसे अपने' छुपाने का मन है।

कुछ कहती है दुनिया तो' कहने दो "गुलज़ार"
तुम्हे भी ज़िन्दगी अपनी'ख़ुशी से बिताने का मन है।

गुलज़ार राजा अंसारी

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