मंगलवार, 26 मई 2015

रोज़ रक शेयर आज अंकित कुमार

इत्तेहाद ऐ अदब : 24/5/2015 
को योगदा सत्संग महाविद्यालय राॅची के परिसर मे 3 घंटे बिताया तो प्रकृति की कुछ सुन्दरता नजर आई जिसे कविता के माध्यम से आपके सामने रख रहा हूॅ।
 बैठा था हरे मैदान मे अंजाने वृक्ष के छाॅव मे 
इक अजीब सा सन्नाटा था 
बीच बीच मे कू- कू की 
आवाज का आना था 
जानवर चिड़ियो का ठिकाना था 
बड़ी दूर मे मकानों का नजराना था
 यूॅ शान्त से खड़े थे वृक्ष सभी 
जैसे इक दूजे से अंजाना था
 कभी हल्की हवा चलती तो झूम जाते थे वृक्ष के पत्ते
 शायद अपनी उपस्थिति का आभास कराना था 
इक अजीब सी शान्ति मिल रही थी वृक्ष की छाॅव मे
कितना सुन्दर मनोरम प्रकृति का तराना था 
हरे -हरे घास पे पीले फूलो का मिल जाना था 
कितना सुन्दर मनोरम प्रकृति का नजारा था -
:::::::अंकित::::: mob 8541058067::-
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