मंगलवार, 19 मई 2015

बेटियां गगर की रौनक

ना राह चलते रिशतो कोनिलाम करती है बेटिया  ना
 वालिद के इजजत को सरेआम करती है बेटिया
मुशकिल घडियो मे हर पल साथ निभाती है बेटिया
 पकत माॅ बाप की जान होतीहै बेटिया
बुढापे मे अकसर झुॅझलाते है बेट मगर
उनहे पयार से सजाती है बेटिया
दुःखी होने पर भी हर पल
वालिद को देख मुसकुराती है बेटिया
 इक नही दो-दो वालिदो कोसंभालती है बेटिया
 सास-ससुर पे भी जानलुटाती है बेटिया
 शायद इसलिए हर रिशते मे उचच पायदान पाती है
 बेटियाॅ :::::::अंकित::::::::::
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