मंगलवार, 21 फ़रवरी 2017

चलते है

चलते है

नकाबपोश भी जलवे दिखा के चलते है
अजीब  शौक  है  पर्दा उठा के चलते है
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हरेक  शय  हुई है खाक दीद से उनकी
नसीब हम भी चलो आजमा के चलते है
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तमाम   जिंदगी   पैरों   में   रौंदते  वाले
ज़नाज़ा कद के बराबर उठा के चलते है
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गिरे हुए को उठाना है मुखतलिफ जज्बा
उठे  हुए  को  तो  सारे  गिरा के चलते है
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अजीब सा नया फैशन चलन मे आया है
शरीफ लोग भी काॅलर चडा के चलते है
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✒....  RAEES BASHAR

शनिवार, 11 फ़रवरी 2017

बनाता हूं

तसव्वुर मे सही लेकिन अजब मंजर बनाता हूं
मैं काग़ज़ के सिपाही काटकर लश्कर बनाता हूं
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इमारत की सभी ईंटें लहू से सींचकर अपने
अमीर - ए - शहर तेरे वास्तें मैं घर बनाता हूं
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खयालों का मैं अपने मालिको मुख्तार हूं साहेब
सभी मसनदनशीं को ख्वाब मे नौकर बनाता हूं
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किसीको क़त्ल करने का है मेरा मुख़्तलिफ़ जज़्बा
मै पानी को जमा कर बर्फ के ख़ंजर बनाता हूँ
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तुम्हारी नफरते जायज नही मेरी गरीबी पर
तुम्हारी कार के अक्सर मैं ही पंचर बनाता हूं
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✒...... RAEES BASHAR...
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गुरुवार, 9 फ़रवरी 2017

मोहताज है

क्या ग़ज़ब कैसे कैसों के मोहताज हैं ।
बुतक़दे के खुदाओं के मोहताज हैं ।
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सब अमीरों कि करली हिमायत मगर
आज भी  पैसे  पैसों के मोहताज हैं ।
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ज़हर  दे  या  दवा  दे  तेरा शुक्रिया
जब तलक तेरे जैसों के मोहताज हैं ।
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