रविवार, 15 मई 2016

वास्तें

छोड़कर हमको गया जो... अजनबी के वास्तें ।
अब दया दिल में नही उस... आदमी के वास्तें ।

बेवफ़ा कहकर पराया.. कर दिया हमने जिसे,
गिर रहे है अब भी आँसू... बस उसी के वास्तें ।

है अजब सा सिलसिला कुछ इश्क़ की बरसात का,
आसमाँ भी चीख... पड़ता है जमीं के वास्तें ।

इश्क़ के जख्मों से अच्छा... दोस्ती का मर्तबा
जान भी कुर्बान........ मेरी दोस्ती के वास्तें ।

आस और उम्मीद छोडों और सो जाओ रईस
कब तलक..... जागे रहोगे चांदनी के वास्तें ।

••••• Rais Pithampuri •••••

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