आज मेरे सबसे अज़ीज़ दोस्त की बहन की शादी थी तो कुछ अशआर लिखे
और वो दोस्त कुवैत में था में सऊदी में दोनों के हाल यही थे जो अपनी शायरी में बया किये है। दोनों भाई imo पे वीडियो कॉल करके रात भर रोये।
24/05/2015
बहन की डोली उठी में बड़ा मजबूर था,
कर भी क्या सकता था घर से जो इतना दूर था।
या खुदा ये कोनसे गुनाह की सजा मिली,
में तो नादान था बिलकुल बे कसूर था।
रोया था बहुत आँखे अभी भी नम है,
अम्मी को भी मेरी कमी का गम है।
देखा जो हर तरफ को मेहमाँ ने मेरे घर में,
सबकी ज़ुबा पे ये था कहा हम है कहा हम है।
या खुदा ज़िन्दगी किस मोड़ पे आई है,
वहा भीड़ है और यहाँ तन्हाई है।
के जिसके साथ बिताई थी हँसते खेलते ज़िन्दगी
में कितना दूर हु और आज उसकी विदाई है
0 comments: