गुरुवार, 19 जनवरी 2017

लीजिये

चाँद को छत पे अपनी बुला लीजिये
आप पहलू  में उनको बिठा लीजिये
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अच्छी लगती नही बद्लियां चाँद पे
अपने चैहरे  से  जुल्फें हटा लीजिये
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दर्द दहलीज़ पर  छोड़कर हम चले
आखिरी  खत हमारा उठा लीजिये
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रूह  से  रूह  होती  नही  रू-ब-रू
जिस्म को दरमियां से हटा लीजिये
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इक वरक़ पर लिखा जो मैने लफ़्ज़-ए-इश्क़
उतरा काग़ज़ पे रंग-ए-हिना लीजिये
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✒......... *Rais pithampuri*