सिर्फ़ आने का गुमाँ होता है !
उनका दीदार कहाँ होता है ! !
ये बता दो ऐ हवाओं मुझको !
क्या मेरा ज़िक्र वहाँ होता है ! !
है मोहब्बत का ग़म अजीबो ग़रीब !
शक्ल से ही जो अयाँ होता है ! !
ऐ मेरे दोस्त मेरी ग़ज़लों मे !
हाल दिल का ही बयाँ होता है ! !
रात दिन हम तड़प रहे हैं " नदीम " !
क्या कहें दर्द कहाँ होता है ! !
- - - - नदीम सिद्दीक़ी - - - -
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