कभी हद से बढ़कर कहां बोलतीं है ।
मेरी गज़ले मेरी जुबां बोलतीं है ।
.
तुम्हीं से शुरू मेरे दिल की है दुनिया
तुम्हें ही जमीं आसमां बोलतीं है ।
.
कई नामचीन चहरे मरते है उस पे,
मगर वो हमें अपनी जां बोलतीं है ।
.
जला करते है फूल उनसे है सारे,
मेरा नाम जब भी जहां बोलतीं है ।
.
हमें सिर्फ वो ही नही जान अपनी,
फलां और फलां और फलां बोलतीं है
.
Rais Pithampuri. .....