अब तो हिन्दू मुसलमान से डर लगता है
इंसान को इंसान से डर लगता है
शैतान तो कर रहे हैं आराम अब
ये मज़हब नाम के हैवान से डर लगता है
दिन रात यही सोच में गुज़रती है ज़िन्दगी
इस दुनियां के सुबह-व-शाम से डर लगता है
ना जाने कौन सी गोली बम के हो जाएँ निशाना
दोस्त पड़ोस भाई हर नाम से डर लगता है
शायद ही कभी होगा अमन अब इस दुनियां में फ़राज़
आने वाले ज़िन्दगी के हर मुकाम से डर लगता है
बहुत खूब सर फ़राज़ भाई
जवाब देंहटाएंbahot bahot shukria bhai
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