सोमवार, 18 मई 2015

*ग़ज़ल*

उलझन अपनी'मिटाने आजा
दिल के राज़' बताने आजा

तू  मेरी   है   मैं   तेरा     ही
दुनिया को ये' बताने आजा

देख ना ऐसे नफरत से तू
प्यार से गले लगाने आजा

गुटठी उलझी मेरे दिल की
तू उसको' सुलझाने आजा

प्यार का दीप जला रखा है
बनके आंधी बुझाने आजा

मान ले तू "गुलज़ार"को अपने
सुरत अपनी 'दिखाने  आजा

राईटर~गुलज़ार राजा अंसारी

09997973503

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