शनिवार, 16 मई 2015

रोज़ एक शायर आज नसीम आज़मी

हम तेरी मुहब्बत में आफताब बन गए
जिसमें न धुंआ हो वो आग बन गए

उगते रहे हैं शूल भी सीने की जमीं से
जबसे तुम मेरे दिल के गुलाब बन गए

अब देखना दुनिया को न हो सका मुमकिन
तुम मेरी निगाहों पे नकाब बन गए

हम आज तक छुपाते रहे राज ए मुहब्बत
न जाने तुम किस तरह हमराज बन गए
नसीम आज़मी

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