शनिवार, 9 अक्तूबर 2021

तुझे कसम है मेरी मौत पर

तुझे कसम है मेरी मौत पर
आज का ये जाम और मेरा आखिरी पैगाम मेरे महबूब के नाम...

मेरे दिल में थी तू और तेरा दिल खचाखच था
मेरी कमाई फिजूल तेरा खर्चा जायज था
क्या जायज था वो तेरा छोड़कर चले जाना
तुझे कसम है मेरी मौत पे जरूर आना

तूने मेरे ताने झेले मैंने तुझको झेला है 
मैंने सुबह 5बजे तक सोना बाबू खेला है
यार कि तेरे बड़ी गाड़ी बड़ा घर होगा 
मुझे यकीन है वो मुझसे तो बेहतर होगा
दवा दारू है मेरी और शहर मेय खाना
तुझे कसम है मेरी मौत पे जरूर आना
अगर है इश्क तुम्हें दूर भागती क्यों हो 
अगर नहीं है तो फिर छत से झांकती क्यों हो
फना हो जाऊंगा मैं आंखें सेकती रहना 
याद में मेरी तुम तस्वीर देखती रहना 
देखना एक दिन मर जाएगा यह दीवाना 
तुझे कसम है मेरी मौत पर जरूर आना

दोस्त दोस्त ना रहा और प्यार प्यार ना रहा

दोस्त दोस्त ना रहा और प्यार प्यार ना रहा
मैं बहुत खुश था मेरे साथ थी मेरी बंदीं 
मगर एक चूतिये की पड़ गई नजर गंदी
पूरा दिन फिरते किसी मूत से ना डरते थे
रात भर फोन पे हम चुमा चाटी करते थे
फिर उसके बाद उसका फोन बिजी आने लगा 
बाद में नंबर उसका स्विच ऑफ बताने लगा
बन गए दुश्मन सभी कोई भी यार ना रहा 
दोस्त दोस्त ना रहा और प्यार प्यार ना रहा

बाद महीने के मुझे एक दिन मिला मौका 
मैंने एक सांप के संग उसको गली में रोका
उठाया हाथ मैंने साथ किसके सोने लगी 
देखके यार मेरे संग सिसक के रोने लगी
तमाम खुदाओं कि वो झूठी कसमें खाने लगी
मैंने धूत कारा बाबू रूठ घर को जाने लगी
गया था साथ उसके यार जो कंधा बन के 
वो लौटा दो दिनों में बंदी का बंदा बन के
अब किसी बाबू का हमको इंतजार ना रहा 
दोस्त दोस्त ना रहा और प्यार प्यार ना रहा