आज का ये जाम और मेरा आखिरी पैगाम मेरे महबूब के नाम...
मेरे दिल में थी तू और तेरा दिल खचाखच था
मेरी कमाई फिजूल तेरा खर्चा जायज था
क्या जायज था वो तेरा छोड़कर चले जाना
तुझे कसम है मेरी मौत पे जरूर आना
तूने मेरे ताने झेले मैंने तुझको झेला है
मैंने सुबह 5बजे तक सोना बाबू खेला है
यार कि तेरे बड़ी गाड़ी बड़ा घर होगा
मुझे यकीन है वो मुझसे तो बेहतर होगा
दवा दारू है मेरी और शहर मेय खाना
तुझे कसम है मेरी मौत पे जरूर आना
अगर है इश्क तुम्हें दूर भागती क्यों हो
अगर नहीं है तो फिर छत से झांकती क्यों हो
फना हो जाऊंगा मैं आंखें सेकती रहना
याद में मेरी तुम तस्वीर देखती रहना
देखना एक दिन मर जाएगा यह दीवाना
तुझे कसम है मेरी मौत पर जरूर आना