क्या हंसी यार कि सूरत है नज़ाकत क्या हैं ।
कोई पूछें मेरे दिल से मेरी हालत क्या हैं ।
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यार की बाहों में मदहोश हुए बैठा हूँ,
अब मुझे होश में आने कि जरूरत क्या है
शनिवार, 7 अक्तूबर 2017
रविवार, 11 जून 2017
प्रेम का एहसास
प्रेम का एहसास
प्रेम अलग है, जीवन अलग है, समाज अलग है, प्रेम इन सब बातो से परे है, प्रेम समाज से परे होकर जीता है और वो उसका अपना ही समाज होता है. प्रेम की असफलता के कई कारण हो सकते है पर प्रेम के होने का सिर्फ और सिर्फ एक ही कारण हो सकता है और वो प्रेम ही है.
प्रेम का एहसास
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प्रेम हमेशा ही अधुरा होता है. जिसे हम पूर्णता समझते है, वो कभी भी प्रेम नहीं हो सकता. प्रेम का कैनवास इतना बड़ा होता है कि एक ज़िन्दगी उसमे समाई नहीं जा सकती है. जब आप प्रेम में होते है तो आपको पता चलता है कि आप एक ज़िन्दगी भी जी रहे है…..और ज़िन्दगी ; परत दर परत ज़िन्दगी के रहस्य खोलती है. जिसे आप सिर्फ प्रेम ही समझते है और प्रेम में ही जीते है…. और ऐसा जादू सिर्फ और सिर्फ प्रेम में ही होता है…! जैसे कि अब हो रहा है मेरे साथ !
सोमवार, 1 मई 2017
बुधवार, 12 अप्रैल 2017
कट गई
घड़ियां तवील खौफ़ की बारिश मे कट गई
फिर एक रात मौत की ख्वाहिश मे कट गई
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दुनियां से भाई - चारा निभाने के बावजूद
गर्दन हमारी आपसी रंजिश मे कट गई
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इक दिन मिला ना वक्त इबादत के वास्तें
मेरी पतंग ए उम्र नुमाइश मे कट गई
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.......... RAEES BASHAR
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शुक्रवार, 31 मार्च 2017
जरूरी तो नही
मेरे आगाज़ का अंजाम जरूरी तो नही
आप के साथ मेरा नाम जरूरी तो नही
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था मेरे दम से चराग़ाँ कभी बाज़ार मगर
अब भी ऊंचा हो मेरा दाम जरूरी तो नही
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जिस के मैैं नाम से बदनाम हूं वो मेरी तरह
हो मेरे नाम से बदनाम जरूरी तो नही
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........... Raees BasHar
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गुरुवार, 9 मार्च 2017
फनकारी है
ज़ख़्मी ज़ख़्मी है जिगर लब पे तरफ़दारी है
ये मुहब्बत भी अजब तरह की बीमारी है
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मेरी ग़ज़लों में सिवा इश्क़ के कुछ खास नही
खास तो आपके पढ़ने की अदाकारी है ।
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वो बहुत देर तलक राह नही देखेंगे
जल्दी आ जाओ मेरे दफ़्न की तैयारी है ।
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रोज़ आ जाते है यादों की ये मय्यत लेकर
अब भी नींदों पे वो ख़्वाबों का सितम जारी है
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क्यूं किसी और के शेरों में कमी ढुंढें "रईस"
तेरे शेरों में भी उस्ताद की फनक़ारी है ।
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✒ .....Raees BasHar....
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मंगलवार, 21 फ़रवरी 2017
चलते है
नकाबपोश भी जलवे दिखा के चलते है
अजीब शौक है पर्दा उठा के चलते है
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हरेक शय हुई है खाक दीद से उनकी
नसीब हम भी चलो आजमा के चलते है
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तमाम जिंदगी पैरों में रौंदते वाले
ज़नाज़ा कद के बराबर उठा के चलते है
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गिरे हुए को उठाना है मुखतलिफ जज्बा
उठे हुए को तो सारे गिरा के चलते है
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अजीब सा नया फैशन चलन मे आया है
शरीफ लोग भी काॅलर चडा के चलते है
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✒.... RAEES BASHAR
शनिवार, 11 फ़रवरी 2017
बनाता हूं
तसव्वुर मे सही लेकिन अजब मंजर बनाता हूं
मैं काग़ज़ के सिपाही काटकर लश्कर बनाता हूं
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इमारत की सभी ईंटें लहू से सींचकर अपने
अमीर - ए - शहर तेरे वास्तें मैं घर बनाता हूं
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खयालों का मैं अपने मालिको मुख्तार हूं साहेब
सभी मसनदनशीं को ख्वाब मे नौकर बनाता हूं
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किसीको क़त्ल करने का है मेरा मुख़्तलिफ़ जज़्बा
मै पानी को जमा कर बर्फ के ख़ंजर बनाता हूँ
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तुम्हारी नफरते जायज नही मेरी गरीबी पर
तुम्हारी कार के अक्सर मैं ही पंचर बनाता हूं
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✒...... RAEES BASHAR...
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गुरुवार, 9 फ़रवरी 2017
गुरुवार, 19 जनवरी 2017
लीजिये
चाँद को छत पे अपनी बुला लीजिये
आप पहलू में उनको बिठा लीजिये
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अच्छी लगती नही बद्लियां चाँद पे
अपने चैहरे से जुल्फें हटा लीजिये
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दर्द दहलीज़ पर छोड़कर हम चले
आखिरी खत हमारा उठा लीजिये
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रूह से रूह होती नही रू-ब-रू
जिस्म को दरमियां से हटा लीजिये
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इक वरक़ पर लिखा जो मैने लफ़्ज़-ए-इश्क़
उतरा काग़ज़ पे रंग-ए-हिना लीजिये
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✒......... *Rais pithampuri*