रविवार, 25 दिसंबर 2016

कब्र मे मैं हूं वो है पर्दे मे....

इश्क़  मेरा  फना  नही  होता ।
तू  अगर  बेवफा  नही  होता ।
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कब्र  मे  मैं  हूं  वो  है  पर्दे  मे,
आमना  सामना  नही  होता ।
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बेरूखी  बद् कलामी  रूसवाई,
अब मुहब्बत मे क्या नही होता ।
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दिल अगर सोचकर लगाते हम
तो  कोई  हादसा  नहीं होता ।
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दूर  रह  के  करीब  हो  जैसे,
रूहों  मे  फासला नही होता ।
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.............Rais pithampuri
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गुरुवार, 22 दिसंबर 2016

मा

मा

मुहब्बत माँ कि बन के दाएँ बाएँ साथ रहती है
मैं जब घर से निकलता हूं दुआएँ साथ रहती है
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सफर तन्हा नही होता बुजुर्गो के बुढ़ापे का,
जवानी से बुढ़ापे तक दवाएँ साथ रहती है
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बुरा जब वक्त आता है सभी दिल तौड जाते है,
मगर जैसे भी हो हालात माएँ साथ रहती है
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चली जाती है माएँ एक दिन हो जन्नती लेकिन
हमारे बीच  उनकी  दाश्ताएँ  साथ रहती है
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#_____Rais_pithampuri
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गुरुवार, 8 दिसंबर 2016

फिदेल कास्त्रो

फिदेल कास्त्रो

साम्यवाद, समाजवाद और अधिनायकवाद के इस लाल सितारे का अस्त एक ऐसे समय में हुआ है जब व्यक्तिवाद को सत्ता पर कब्ज़े के लिए बंदूक की बजाय मतपेटियों का सहारा मिल रहा है। व्यक्ति और विचार के बीच का अंतर निरंतर महीन हो रहा है। अमेरिका में एक नई तरह की लाल चादर चढ़ी है और इधर इसे लाल सितारे का अस्त हो जाना, प्रतीक रूप में ही सही, महत्वपूर्ण तो है ही। फिदेल कास्त्रो क्रांति से आगे क्या? के लिए हमेशा याद किए जाते रहेंगे। क्या अच्छा हो सकता है, नायकवादी निरंकुश सत्ता अच्छा करना चाहे तो कैसे और बुरा तो कैसे, दोनों ही उनकी नीतियों, भाषणों और सिद्दांतों के जरिए परिभाषित होते रहेंगे। क्रांति के बारूद से अपने नायकत्व की सिगार जलाने वाले फिदेल कास्त्रो को लाल सलाम!!