रविवार, 17 मई 2015

दिल की महंक


प्यार की राह में ऐसे भी मक़ाम आते हैं |
 सिर्फ आंसू जहाँ इन्सान के काम आते हैं ||
 उनकी आँखों से रखे क्या कोई उम्मीद-ए-करम |
 प्यास मिट जाये तो गर्दिश में वो जाम आते हैं ||
 ज़िन्दगी बन के वो चलते हैं मेरी सांस के साथ |
 उनको ऐसे भी कई तर्ज़-ए-खराम आते हैं ||
 हम न चाहें तो कभी शाम के साए न ढलें |
 हम तड़पे हैं तो सुबहों के सलाम आते हैं ||
 कुव्वत-ए-दस्त-ए-तलब का नहीं जिन को इदराक |
 तेरे दर से वही बे-नील मराम आते हैं ||
 मुंह छुपा लेते हैं ग़म हज़रात-ए-नासेह की तरह |
 जब भी मैखाने में रिंदान-ए-कराम आते हैं ||
 हम पे हो जाएँ न कुछ और भी रातें भारी |
 याद अक्सर वो हमें अब सर-ए-शाम आते हैं ||
 छिन गए हम से जो हालात की राहों में सरवर

 उन हसीनों के हमें अब भी पयाम आते हैं || +918521491859

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