शनिवार, 12 दिसंबर 2015

जाते ।

छुपाए भी नही जाते , निकाले भी नही जाते |
मेरी आँखो से ये आँसू, सँभाले भी नही जाते |
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मुहब्बत ने लगा के खोट जबसे, है मुझे छोड़ा
मेरी तकदीर के सिक्के, उछाले भी नही जाते |
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निकाला चाँद ने जबसे, मुझे महफ़िल से है यारो
सितारों के कभी दर पे, उजाले भी नहीं जाते |
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मुजावर क़ब्र का मेरी, रफीक बन बैठा जाने क्यूं
चढाने हर जगह फूल, ह़ुस्न वाले भी नहीं जाते |
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उठी है टीस दिल मे दर्द के, उठते सवालो से
कहा से जख्म लाते हो, सँभाले भी नही जाते |
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: : : : : : Rahish pithampuri : : : : : :

गुरुवार, 10 दिसंबर 2015

सांप

कभी जिनके लिए हमने भरोसे भी सँभाले थे |
हमी पर याद है उसने छुरी चाकू निकाले थे |
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डसा कमजर्फ ने अपने यकीनो को गिला तो हैं
मगर आस्तीन मे हमने हि अपने साँप पाले थे |
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गले का हार बन-बन के हमी से खूशबू लूटी है
खिलाफ़त मे खड़े अपनी हमारे ही निवाले थे |
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कफन मे बाँध कर हमको दफन एक रोज़ कर डाला
मेरी बर्बादियो पर इश्क़ ने लश्कर निकाले थे |
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न हमसे हाल पूछा ना वज़ह हमसे कभी पूछी
हमारे ऐब के साथी हमारी जात वाले थे |

बुधवार, 9 दिसंबर 2015

शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015

मैंने तो सुन लिया था, और तुमने ?

मैंने तो सुन लिया था, और तुमने ?

शायर बशर नवाज़ साहब ने लिखा था करोंगे याद तो हर बात याद आएँगी. तुम्हे क्या क्या याद है. बताओ तो. मुझे तो सब कुछ याद है, तुम्हारा मुझे थामना, मेरे लिए चिंतित होना और हाँ, शायद मन के किसी कोने में मेरे अहसास को घर देना. ये सब बस हुआ है. हो गया है. ठीक उसी तरह से जैसे दुनिया के सबसे बड़े डायरेक्टर ने कहा होंगा. अब तुम ये करो और हम कर बैठे. ऐसे देखो और हमने देखा, ऐसे छुओ और हमने छुआ. और उसने ये भी कहा था कि प्रेम करो. मैंने तो सुन लिया था. और तुमने ?

बुधवार, 2 दिसंबर 2015

Mohabbat Ke Dange मोहब्बत के दंगे Hakeem Danish



अस्सलामु अलैकुम नमस्कार सत सरीआकाल hello 
में हकीम दानिश में काफी दिन से देख रहा हु एक शख्स है। जो हमारी तरह आपकी तरह। काम करते हैं। अपनी ज़िन्दगी गुज़ार रहे थे फिर अचानक एक दिन उनका एक वीडियो देखने को मिलता है। जिसमे। उन लोगो के खिलाफ हक़ और सच बात बोकते हैं। जो हमारे देश को खोकला करने में लगे है। मुझे समझ नहीं आया ये ऐसा क्यू कर रहे हैं। फिर जब और वीडियो आये और इनके करीब पहुचा तब पता लगा अरे ये तो हमारे ही देश के हैं। आम नागरिक हैं। एक चीज़ और सोची के यार ये काम हम भी तो कर सकते थे। 
फिर याद आया अरे नहीं भाई अपने देश में सबसे पहला मासला पहल का है पहल कोंन करे। और जैसे ही अवि डंडिया जी ने पहल की और नाम की तो में क्या कहु। वही जैसे जो तैसा। दंगों में मोहब्बत जोड़ दी और हो गया #मोहब्बत_के_दंगे। #mohabbat_ke_dange
बहुत बहुत शुक्रिया / धन्यबाद 
माननीय अवि डंडिया जी। और उन सभी लोगो का भी शुक्रिया जिन्होंने इस मुहीम में अवि जी का साथ दिया। 
ईश्वर अल्लाह भगवान् वाहेगुरु इसा मसीह god
आप जिसे भी मानते हो। उन से दुआ कीजिये के जल्द हमें वो दिन देखने को मिले। के जिस दिन हर गली हर शहर हर मोहल्ले में मोहब्बत के दंगे हो रहे हो। और जो अक़्ल के अंधे अपनी मानसिक स्थिति खराब होने के कारण दंगे कराते है मासूमो को बेगुनागो मज़लुमो का खून बहा कर अपनी रोटिया सकते हैं। उनकी #दूकान_बंद हो
#mohabbatkedange
#dukanband अवि अली डांडिया
ये मैंने कुछ लाईने लिखी है। शायद अवि डंडिया जी के मन की बात हो अरे सॉरी मन की बात तो अपने साहब की होती है। शायद अवि डंडिया जी के दिल की बात हो। 

न पैसा चाहिए न कोई नोट चाहिए।।
न हूँ में कोई नेता जो वोट चाहिए।।

पैगाम मोहब्बत के दंगो का है मेरा 
मुझको तो बस तुम्हारा सपोर्ट चाहिए।।

मासूमो के हुए यहाँ पे क़त्ल बेशुमार।।
किसी बेगुनाह को अब न कोई चोट चाहिए।।

उगलते है जो ज़हर अपने मुह से उन के मुह पे।।
मोहब्बतों के दंगो की एक चोट चाहिए।।

पैगाम मोहब्बत के दंगो का है मेरा 
मुझको तो बस तुम्हारा सपोर्ट चाहिए।
हर तरफ हो सुकून हर तरफ हो अमन 
बुग्ज़ वाली न अब कोई खोट चाहिए

शुक्रिया धन्यबाद