शनिवार, 21 नवंबर 2015

चराग

मोहब्बत की लौ चुभने लगी जमाने को ।
आंधियां चल पड़ी हमारा चराग बुझाने को ।
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किसी के कंगन बुला रहे हैं छोड़ दो हमें,
मौत तैयार खडी है......गले लगाने को ।
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आरजू है कफन की हमसे लिपटकर सोने की,
हथियार उठाओ फना कर दो इस दिवाने को ।
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बहाने से आई थी बहाने समंदर ए ईश्क की लहरें
हमने बहाने से डूब कर गले लगा लिया बहाने को
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काश निकलें शेर का जनाज़ा शायरी की गली से
कविता भी मजबूर हो जाएं... नकाब उठाने को ।
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गुरुवार, 19 नवंबर 2015

मय्यत

मय्यत

कांधें से कांधा मिलाकर सबके साथी बन जाना ।।
हंस कर विदा करना, न जज्बाती बन जाना ।।
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सुरमा लगाकर ढांक देना मुझे सहरें की चादर से,
मय्यत उठाकर तुम मेरे बाराती बन जाना ।।

शनिवार, 14 नवंबर 2015

रोज़ एक शायर आज अंकित कुमार

                            ittehad~e~Adab  इत्तेहाद~ऐ~अदब महफ़िल
रोज़ एक शायर आज #अंकित_कुमार
हर रिश्ते से नाता टूटा हर रिश्ते मे अकुलाहट लगी !!
जब उसके दरवाजे पे किसी और की बारात लगी !!

लगने लगे वादे सब झूठे, झूठी उनकी हर बात लगी !!
जब उनके हाथो मे मेहदी ना अंकित नाम लगी !!

लगी टूटने ख्वाब हमारी फूटी हमारी घर बार लगी !!
जब उनके माँगो मे सिन्दुर ना अंकित नाम लगी !!

झूठे लगे हमे इश्क मोहब्बत झूठी प्यार की बात लगी !!
जब उनके दरवाजे पे किसी और की बारात लगी !!

झूठी लगी वो हमको झूठी उनकी हर बात लगी !!
जब हमारे आँसू उनको खुशियों की सौगात लगी !!

झूठी लगी वो पल सुहाने झूठी हमको हर शाम लगी !!
जब उनके हाथो पे किसी और की हाथ लगी !!
-::-अंकित::-

गुरुवार, 12 नवंबर 2015

रोज़ एक शायर आज हकीम दानिश

रोज़ एक शायर आज हकीम दानिश

ताज़ा ताज़ा
हमारे यहाँ भी आये वो जंगल राज बिहार जैसा
के मानव  राज से बहुते  ही तंग  आ चुके है।

जो जुमले थे के वापस लाएंगे बाहर से जमा पैसा
अब तक उससे ज़्यादा जनता से लेके खा चुके है।

कोई पूछ ले पिछले महीने थे कहा साहब !!
बता नहीं सकते वो देशो के इतने लगा चुके है !!

के अब कोई फर्क पड़ता नहीं हमको नए जुमलों से
वो माइक पर खड़े हो कर इतना पका चुके हैं।
हकीम दानिश

मंगलवार, 10 नवंबर 2015

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रोज़ नयी शायरी रोज़ नए अशआर

रोज़ नयी शायरी रोज़ नए अशआर
Ittehad~e~adab इत्तेहाद~ऐ~अदब महफ़िल


"आखों में आंसू दिल में दर्द और जिदगी में तन्हाई,
देख लो तुम्हारा हर तोहफा हमने आज भी संभाल
रक्खा है  


सिर्फ मैं हाथ थाम सकूँ उसका ....मुझ पे इतनी  इबादत
सी
कर दे..वो रह ना पाऐ एक पल भी मेरे बिन...ऐ खुदा तू
उसको
मेरी आदत सी कर दे...


बहुत देर कर दी तुमने आने में,
अब तो वक्त को भी मैंने वापिस भेज दिया..


अगर आप कुछ पाने के लिए जी रहे हैं तो उसे वक़्त पर हासिल करो,
क्योंकि ज़िंदगी मौके कम और धोखे ज्यादा देती है।


वक्त की एक आदत बहुत अच्छी है ,
जैसा भी हो , गुजर जाता है .


दिल मजबूर कर रहा है ,,उनसे बात करने को ..!
.और कम्बखत ज़िद करता है की ,,शुरुआत वो करे ..!!


दिल मजबूर कर रहा है ,,उनसे बात करने को ..
.और कम्बखत ज़िद करता है की ,,शुरुआत वो करे ..!!

सच्चे दोस्तों को हम कभी गिरने नहीं देते,
ना किसी कि नज़रों मे ना किसी के क़दमों मे..

Meain Mohabbat Se Nahi Wafa Se Darta Hooo
Jise Toot Ke Caha tha Us-Se Wada Karne Se Darta Hooo
Meri kuch To Majboriya Ho ki Jo Meain Ujale Se Darta hooo...



Haste dilo me gham bhi hai,
muskurati aankhe kabhi nam bhi hai,
dua karte hai aapki hansi kabhi na ruke,
kyunki apki muskurahat ke deewane hum bhi hai...


Haste dilo me gham bhi hai,
muskurati aankhe kabhi nam bhi hai,
dua karte hai aapki hansi kabhi na ruke,
kyunki apki muskurahat ke deewane hum bhi hai...


Logon Ne Kaha Ki Main Sharabi Hoon,
Maine Kaha Unho Ne Ankhon Se Pilaiee Hai.
Logon Ne Kaha Ki Main Ashiq Hoon,
Maine Kaha Ashiqi Unho Ne Sikhaiee Hai.
Logon Ne Kaha Rahul Tu Shayar Dewana Hai,
Maine Kaha Unki Mohabbat Rang Laiee Hai.


Tu Chand Aur Main Sitara Hota,
Aasmaan Mein Ek Aashiyana Humara Hota,
Log Tumhe Door Se Dekhte,
Nazdeeq Se Dekhne Ka Haq Bas Humara Hota..


शुक्रवार, 6 नवंबर 2015

धर्म और राजनीती

धर्म और राजनीती

“मज़हब नही सिखाता आपस में बैर रखना”
उपर्युक्त पंक्ति महाकवि इकबाल की है. उन्हने कहा था की कोई भी मज़हब आपस में बैर रखना नहीं सिखाता. कोई भी धर्म हमें बुराइयों की ओर नहीं ले जाता, हममें घृणा या कटुता की भावना नहीं जागृत करता।

आजकल राजनीति में भी धर्म के नाम पर चुनाव लड़े जाते हैं. कट्टर धर्मांध तथा सत्ता लालच के लिए लोग धर्म की नकारात्मक परिभाषा देके सीधे-सादे व्यक्तियों को गुमराह करते हैं. यह एक लोकतांत्रिक देश है और हर व्यक्ति की अपनी-अपनी इच्छा होती है,अपनी आस्था होती है अपने धर्म के प्रति. हम किसी को किसी भी धर्म को अपनाने के लिए दबाव नहीं डाल सकते. यह जानते हुए भी की इश्वर एक है, लोगों ने भांति-भांति के धर्म बनाये, आज तो ना जाने कितने धर्म हो गए हैं,फिर उस धर्म को राजनीति की मदद से, पैसों के मदद से,प्रचार प्रसार के मदद से लोगों जनता में उसका विमोचन किया जा रहा है. स्थिति आज यहाँ आ पहुंची है की इन्सान इंसानियत को भूल गया है और मात्र धर्म को अपना सब कुछ मानकर मर मिटने को तैयार है. एक ऐसा धर्म जो इंसान से इंसान को बांटे वो किस प्रकार का धर्म है? मानवता की रक्षा करना और एक ईमानदार मनुष्य बनना ही सर्वोच्च धर्म है पर यहाँ तो धर्म कहते ही- हिन्दू, इस्लाम. सिक्ख, ईसाई, पारसी, जैन, इत्यादि ना जाने और कितने ही धर्म ज़हन में आ जाते हैं पर जो वास्तविक अर्थ है धर्म का वह ढूंढने से भी नहीं मिल पाता.
आज यह स्थिति आ खड़ी हुई है की लोगों को धर्म बदलने पर पैसे दिए जा रहे हैं. हिन्दू बनने पर ५ लाख, ईसाई बनने पर २ लाख,इस्लाम धर्म के लिए १ लाख और सिक्ख के लिए ३ लाख. यह सब सुनकर ऐसा लगता है मानो जैसे कोई व्यापार किया जा रहा हो. इस स्वतंत्र और लोकतांत्रिक भारत में जहाँ हर व्यक्ति को अधिकार है किसी भी धर्म को अपनाने का वहां धर्म बदलने के लिए जोर दिया जा रहा है. आज धर्मांतरण जैसा शब्द इतना बड़ा हो गया है की यह समझना कठिन हो जाता है की यह धर्मांतरण सही है या गलत? हिन्दू से इस्लामिक या ईसाई से हिन्दू बनने के लिए लोगों को न जाने कितने सवालों के जवाब देने पद रहे हैं. कई प्रमाण देने पद रहे हैं क्या यह सही है? साम्प्रदायिकता के नाम पर इतना बवाल क्या उचित है? इन पेचीदा सवालों का मन माफिक जवाब खोज पाना जरा कठिन है पर उम्मीद है की आने वाले कुछ दिनों में अगर इन विषयों पर निरंतर चर्चा की जाती रही तो जवाब जरुर मिलेगा.

Rahish pithampuri mushayra mehfil new video







Ittehad~e~adabइत्तेहाद~ऐ~अदब महफ़िल

 Today mushayra of my city in pithampur indore 05/11/2015

Rahish pithampuri this is a my channel for shayri mushayra video my own. Video i am shayar and i always writing shayri peotri kavita

दोस्तों में रहीश पीथमपुरी और में यहाँ आपको अपनी आवाज़ में शायरी कविता ग़ज़ल

नज़्म वगैरा की वीडियो यहाँ पोस्ट करूँगा आप सब से दुआ की दरख्वास्त है।

ये मेरा ब्लॉग पेज है यहाँ से आप मेरव् नगमे मेरी कविताये पढ़ सकते है।

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शुक्रिया / धन्यबाद

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