शुक्रवार, 19 जून 2015

रमज़ान

जन्नतुल फिरदौस का अरमान दिखा सकता है ।
भारत आज छोटा पाकिस्तान दिखा सकता है ।

इस जुमा नमाज़ीयों से मस्जिद भरी होगी,
ये करिश्मा सिर्फ़ माहे रमज़ान दिखा सकता है ।

अजाब ए कब्र के राहगीर, तेरे गुनाहों का रास्ता,
पुलसिरात का खुनी कब्रिस्तान दिखा सकता है ।

पुछना है तो उस दाड़ी वाले से पुछो गुमराह लोगों,
वो मौलाना तुम्हें मौत का मकान दिखा सकता है ।

औकात तेरी क्या है मासुम रोजेदार के सामने,
वो मुर्दा दिलों में भी जिंदा जान दिखा सकता है ।

हैरत नही गर मेरी आँखों में तेरी सुरत उतर आए,
आईना नमाज़ी को रोजेदार इंसान दिखा सकता है ।

Rahishpithampuri786@gmail.com

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