शनिवार, 6 जून 2015

*माँ*

ज़िन्दगी में खुश रहूँ हमेशा'मैं
यही मेरी माँ की मन्नत थी।

बिन देखे जिसकी तारीफ़ सुनी
"गुलज़ार" वही मेरी जन्नत थी।

गुलज़ार राजा अंसारी

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