मंगलवार, 16 जून 2015

दहेज का दर्द

नहीं चाहिए मोटर गाड़ी,
नहीं चाहिए बंगला-साड़ी
हम घाघरे में ही रह लेंगे
बापू, हम क्वांरी रह लेंगे।।

नहीं चाहिए बनें दुल्हनिया
नहीं चाहिए सास-ननदिया
हम-तुम संग सब सह लेंगे
बापू, हम क्वांरी रह लेंगे।।

गोटे वाली चुनर न चाहें
मांग में हम सिंदूर न चाहें
हम बिन कंगन भी जंच लेंगे
बापू, हम क्वांरी रह लेंगे।।

हम दोनों सखियों-सी रहेंगे
आपस में न लड़े-झगडेंगे
तेरी सयानी बिटिया बनेंगे
बापू हम क्वांरी रह लेंगे।।

मोहम्मद सरवर अली खान

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