गुरुवार, 18 जून 2015

जाऊं

वक्त के कीमती कांटो में बंट जाऊँ ।
कब्र के तन्हा सूकून में सिमट जाऊँ ।

थक गया हूँ जिंदगी के नखरे संभाल कर,
हो मलेकुल मौत का इशारा और निपट जाऊँ ।

इंतज़ार मे हूँ की जिंदगी कब तलाक दे,
और कब मैं मौत की चादर में लिपट जाऊँ ।

हिसाब ए कब्र में जन्नतुल फिरदौस की रोशनी आए,
फरिश्तें सवाल करें और मैं मोहम्मद रट्ट जाऊँ ।

☆★rahishpithampuri786@gmail.com☆★

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