वक्त के कीमती कांटो में बंट जाऊँ ।
कब्र के तन्हा सूकून में सिमट जाऊँ ।
थक गया हूँ जिंदगी के नखरे संभाल कर,
हो मलेकुल मौत का इशारा और निपट जाऊँ ।
इंतज़ार मे हूँ की जिंदगी कब तलाक दे,
और कब मैं मौत की चादर में लिपट जाऊँ ।
हिसाब ए कब्र में जन्नतुल फिरदौस की रोशनी आए,
फरिश्तें सवाल करें और मैं मोहम्मद रट्ट जाऊँ ।
☆★rahishpithampuri786@gmail.com☆★
0 comments: