शुक्रवार, 5 जून 2015

मिलना ☆★

मोहब्बत के खुशनुमा आसार में मिलना ।
मुझसे जब भी मिलो तो प्यार में मिलना ।

मैं शहर के सारे शरीफ तुमको दिखाऊंगा,
आकर मुझसे कभी चांदनी बार मे मिलना ।

अनारकली को चुनवाई गई दिवार में मिलना ।
शाहजहाँ के प्यार मुमताज की मजार में मिलना ।

मजनूँ की कसम लैला तुझे दुनिया घुमाऊंगा,
आकर मुझसे कभी मेरी कार में मिलना ।

राँझा को पडे़ पत्थरों की बौछार में मिलना ।
फराद के बहाए दुध की मझधार में मिलना ।

होठों से नही आंखो से तुझे मेरी जां पिलाऊंगा,
आकर मुझसे कभी शराब के बाजार में मिलना ।

विरान जंगलों में गूंजती चिंखों पुकार में मिलना ।
एक बार तो सुनसान सड़क के उस पार में मिलना ।

ये तराशा हुआ बदन पसीने से तरोतर हो जाएगा,
आकर मुझसे कभी होटल चारमीनार में मिलना ।

रानी रूपमती के महल से उंचे उभार में मिलना ।
जंग ए दुश्मनी के बाद मुझे उपहार में मिलना ।

मैं अकबर हूँ इश्क की दुनिया का गर् यकीं न हो,
आकर मुझसे कभी जोधा के किरदार में मिलना ।

Rahishpithampuri786@gmail.com

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