फिरकापरस्त मुस्लिम नाव के किनारे क्या होंगे ।
फिरका ही बस सहारा है तो बे सहारे क्या होंगे ।
मौत के आगोश में मेरे यार मुझे कहकर छोड गए,
तुम अपनी जात के नही होते तो हमारे क्या होंगे ।
कहीं सिया कहीं सुन्नी तो कहीं जिहादी है,
या खुदा फिरकों की मस्जिदों के मिनारे क्या होंगे ।
एक कयामत आ गई है भाई से भाई लड रहा,
तो उस आग उगलने वाले दज्जाल के नजारे क्या होंगे ।
Rahishpithampuri786@gmail.com
0 comments: