शुक्रवार, 7 अगस्त 2015

कलाम

जोशें जूनून को मेरे बेलगाम होने दो ।
वतनपरस्ती है खता तो सरेआम होने दो ।
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हजारों लोग मेरे भी जनाजे में शरीक होंगे,
जरा आतंकवाद की फांसी का इंतजाम होने दो ।
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मुस्लिम वैसे ही बदनाम है मुझे बदनाम होने दो ।
सियासत भी मिट्टी में मिलेगी जरा तुम शाम होने दो ।
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मेरी लाश को राष्ट्रपति का बाप भी सलाम करेगा,
अभी महज़ मुसलमां हूँ मुझे कलाम होने दो ।
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Rahishpithampuri786@gmail.com

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