रविवार, 16 अगस्त 2015

कसम

बे सूकून यादें, दर्द, जख्म, चोटिल निशानी की कसम !!
मुंतजिर हूँ तेरी वफा का मिजाज़ ए आसमानी की कसम !!
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कई हमसफ़र के रिश्ते मेरी दहलीज़ से लोट गए,
तेरी तलब, तेरी तमन्ना में गुजरती जवानी की कसम !!
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मेरी कलम भी तेरा ख्याल तेरा नाम रटतीं है,
मेरी बिखरी, बिखरी कविता, उल्झी कहानी की कसम !!
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तेरी खुशबू तेरे तसव्वुर से धडकनें बहकने लगती है,
तेरे पैरों की रफ्तार, एक्सप्रेस राजधानी की कसम !!
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Rahishpithampuri786@gmail.com

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