शुक्रवार, 21 अगस्त 2015

पढा हमें ।

रईश, मोहब्बत का कर्जा चुकाना पढा हमें !!
बुलंद आशिकी को दिल में छुपाना पढा हमें !!
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महज़ चाँदनी की सितारों में शख्सियत की खातिर,
रवी रोशनी का हो कर भी टिमटिमाना पढा हमें !!
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उनका गमगीन मुखड़ा देख गुरूर छार-छार हो उठा,
उन्हीं से रूठ कर बैठे थे उन्हीं को मनाना पढा हमें !!
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इसिलिये के रोशन रहे उनके मकान की चमक,
मजबूरीयों में घर भी जलाना पढा हमें !!
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तोहमतें बरसाने वालें ज़मीर कत्ल की वजह तो पूछ लें,
सिर्फ़ 'कविता' के लिए कवी को दफनाना पढा हमें !!
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जब हुआ नहीं उनको हमारे इरादों का ऐतबार,
फिर यूँ हुआ के मरकर दिखाना पढा हमें !!
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Rahishpithampuri786@gmail.com

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