हम तुम मिलते जरूर फासला जो अंतराल न होना !!
मेरे होठों पर दर्द और तेरे होठों पर सवाल न होता !!
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मेरी हर नज्म में जिसका जिक्र भरी महफिल में होता था,
वो मेरी कद्र अगर करतें तो आज मलाल न होता !!
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शिद्दत की मोहब्बत ने मुझे सड़क पर ला दिया,
मैं धड़कने सहम कर खर्च करता तो कंगाल न होता !!
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दोष उनका भी नहीं दोस्त हम खुद ही कसूरवार है,
हम कदम फुंक फुंक कर रखते तो बुरा हाल न होता !!
बहुत खूब भाई बेहतरीन लेख
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