बुधवार, 8 जुलाई 2015

पूछते हैं ।

ओए.....
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मेरी 'जान, के रिश्तेदार मेरा मकान पूछते है ।
कहां है मेरा बैठना, उठना दुकानों दुकान पूछते है ।
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मेरे तलाश कर्मीयों को देख देख पुरा मोहल्ला हंसता है,
क्योंकि बेईमान लोगों का पता अक्सर बेईमान पूछते है ।
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दरोदर मारें मारें बेचारे परेशान पूछते है ।
कल मेरे साले मुझे घेर दुश्मनों के दरमियान पूछते है ।
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क्या कहूँ की बेतरकीब हुई धुलाई मेरी जात जानकर,
ये साले भेन के टके क्यों अक्सर जात, धर्म, इमान पूछते हैं ।
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कैसे हुई पिटाई प्यार से दोस्त और मेहमान पूछते है ।
तबियत ठीक तो है मजनूँ, गली के सारे नौजवान पूछते है ।
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हैरत नहीं करना, भाभी गर् तुमसे मेरा ठिकान पूछें,
हुनरमंद लोगों का पता अक्सर कद्रदान पूछते है ।
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Rahishpithampuri786@gmail.com

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