मंगलवार, 14 जुलाई 2015

रईश

ओए.....
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पीता हूँ जी भर के दारू कुत्ता छाप हो या ताड़ी ।
खाता हूँ पेट भर के टिकड़े घर हो या आंगनबाड़ी ।
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शौक अपने भी किसी "रईश,, जादे से कम नही,
घुमता हूँ 4 व्हीलर से भेंस हो या ठेलागाड़ी ।
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नहाता हूँ डुबकी मार मार के चाहें दम ही निकल जाए,
फिर चाहें इश्क़ ए समंदर हो या कितनी उंडी खाड़ी ।
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सामने पल दो पल आओ तो बेखौफ जीना कर लूँ,
फिर चाहें छुकरिया लिबास ए सुट में हो या साड़ी ।
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Rahishpithampuri786@gmail.com

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