रविवार, 26 जुलाई 2015

सुंदरता की चाहत

आज की युवा पीढी मैं जन्हा युवक अपने जीवन साथी के रूप मैं एक सुंदर और ब्यूटीफुल लड़की की कल्पना करता है तो वन्ही युवती एक हेंडसम और सुंदर कद काठी वाले लड़के की चाहत रखती है । अतः एक सुंदर घर और सुखद जीवन के लिए हर व्यक्ति एक सुंदर जीवन साथी की चाहत रखता है । वैसे यह सोच वर्षों पुरानी है और जैसे की मानव मन की स्वाभाविक वृत्ति है की वह हमेशा नेत्रों के माध्यम से मन को सुंदर और मनोरम लगने वाली नश्वर और अनश्वर वस्तुओं की और आकर्षित होता रहा है । मानव मन की इसी प्रवृत्ति के कारण ही बाहरी आकर्षण के अतिरिक्त अन्य आंतरिक और छिपे हुए गुणों क्रम बाद मैं ही आता है । अतः इसी स्वभाव के चलते यदि किसी लड़का अथवा लड़की को पहली नजर मैं कोई भा जाता है तो इससे ही संभवतः सुखद अहसास की कोपल मन मैं प्रस्फुटित होने लगती है । इस पहली नजर को सिर्फ़ बाहरी व्यक्तित्व का ही आकर्षण प्रभावित कर पाता है अन्य आंतरिक गुणों का आकर्षण तो बाद की बात रहती है और किसी व्यक्ति के आंतरिक गुणों की और तभी आकर्षित होते हैं जब इसी पहली नजर की पहचान के कारण ही धीरे धीरे दूरियां नजदीकियां मैं बदलती है ।
जैसा की आज के दौर मैं सुन्दरता के मायने सिर्फ़ बाहरी और बाहरी आकर्षण मैं ढूंडा जाता है और इसी बाह्य आकर्षण के कारण ही हेंडसम लड़का ब्यूटीफुल लड़की अथवा ब्यूटीफुल लड़की हेंडसम लड़के की और आकर्षित हो रहें है । जन्हा प्यार की अन्तिम परिणिति दो दिलों के मेल से चलकर दो शरीर के मिलन पर होती है । यह संभवतः इसी अवधारणा के चलते आज लाइव इन रिलेशन शिप की बात की जा रही है । इन सबके इतर इसमे कुछ ही अपवाद होंगे जिसमे ब्यूटीफुल और हेंडसम की अवधारणा को नजर अंदाज कर आंतरिक सुन्दरता को ध्यान मैं रखकर अपने जीवनसाथी की कल्पना की होगी ।
वैसे भी आज की फिल्म और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी इसी अवधारणा पर काम कर रही है । और बमुश्किल ही शारीरिक सुन्दरता के अतिरिक्त अन्य बातों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है फिल्मो और टीवी धारावाहिक मैं पहली प्राथमिकता तो ब्यूटीफुल चेहरे वाली नायिका और हेंडसम चेहरे वाले नायक ही होते हैं और उसके बाद ही उनपर अन्य अच्छे गुणों का मुलम्मा चढाया जाता है ।। इससे भी एक कदम आगे बढ़कर अंग प्रदर्शन को सुन्दरता के नाम पर बढ़ावा दिया जा रहा है । संभवतः ये ही माध्यम है जो आज की पीढी को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहें है।
फिर भी मानव मन की स्वाभाविक प्रवृत्ति के अनुरूप मानव नेत्रों को भाने वाले सुंदर और मनोहारी अर्थात ब्यूटीफुल और हेंडसम लगने वाली चीजों की और मानव तो आकर्षित होगा ही । किंतु इसके साथ ही अन्य आंतरिक ब्यूटीफुल और हेंडसम गुणों के साथ मन की सुदरता को भी तरजीह दी जानी चाहिए ।

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