बुधवार, 2 सितंबर 2015

घढा

कुछ दिनों पहलें गांव गया था अपनी दादी के घर वहां सबसे लास्ट में दादी का मकान है और वहीं पर गांव का एकलौता कुंआ भी है ।
तो पैश है आज की नज्म उस शाम/राधा के नाम......
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वक्ते सहर शातिर निगाहों ने देखा  एक हसीन मंजर !!
कुंएं को बडतें पैर, बलखाई कमर, रुखसार पर जुल्फों का खंजर !!
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वो लौटतें पहर उसका सिमटकर जानुओं में सिना छुपाना "हाय,,
एक हाथ से संभाला घडा दुसरें से संभाला दुपट्टा हुए अरमान बंजर !!
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Rahishpithampuri786@gmail.com

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