बुधवार, 23 सितंबर 2015

सलवार

गज़ब का नज़ारा अपने बिहार में है !!
कई प्रेमी डुब चुके कई मझधार में है !!
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मेरी तो आंखें भर आई जब उसने कहा,
जल्दी करले मजनूँ कई ओर कतार में है !!
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क्यूं फिजूल घुमता है मजा ढुंढने पगले,
आनंदी खजाना तो मेरी सलवार में है !!
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हाथ हटा, उभार महज़ वक्ते बर्बादी है,
बेवकूफ असली स्वर्ग तो निचे उतार में है !!
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काश मुझे बिहारी भाषा का ज्ञान होता
कसम से पूरी राम कहानी छाप देता....
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Rahishpithampuri786@gmail.com

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