बुधवार, 9 सितंबर 2015

मना कर गई

शायर...... की हस्ती तबाह कर गई !!
अल्फाज़ों की मल्लिका दगा कर गई !!
.
अफसोस मुंतजिर भी न हो सका उसका,
की वो लौट के आने को भी मना कर गई !!
.
बारूद पर टिका था मोहब्बत का आशिया,
एक चिंगारी सुलगी सब धुंआ कर गई !!
.
ना मुनासिब हुई जिंदगी, होठ सिल गए,
चली... बेवफ़ा की छुरी बेजुबां कर गई !!
.
धडकनें संभाल ली, दिल को कैसे समझाऊँ,
की वो लौट के आने को भी मना कर गई

Rahishpithampuri786@gmail.com

Previous Post
Next Post

About Author

0 comments: