कोमल उंगलियों ने मेरी डोरबेल छूई
मैं अकेला ही था बोतल से लिपटा हुआ
तभी दरवाजे पे मैडम की दस्तक हुई
मैंने डोर खोला आंखों पे यकीन ना हुआ
मेरे दर पे आई खुद ही कैसे चलके बेवफा
जो भी जख्म मिले है उन्हें नययो भूल
सकदा एंड वक्त पे
....................दिया था दगा
चली जा बेवफा, तेरा कोई ना यहां
मैं इश्क़े मरीज हूं, दे दूंगा बद्दुआ
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