ज़ख़्मी ज़ख़्मी है जिगर लब पे तरफ़दारी है
ये मुहब्बत भी अजब तरह की बीमारी है
.
मेरी ग़ज़लों में सिवा इश्क़ के कुछ खास नही
खास तो आपके पढ़ने की अदाकारी है ।
.
वो बहुत देर तलक राह नही देखेंगे
जल्दी आ जाओ मेरे दफ़्न की तैयारी है ।
.
रोज़ आ जाते है यादों की ये मय्यत लेकर
अब भी नींदों पे वो ख़्वाबों का सितम जारी है
.
क्यूं किसी और के शेरों में कमी ढुंढें "रईस"
तेरे शेरों में भी उस्ताद की फनक़ारी है ।
.
✒ .....Raees BasHar....
http://www.facebook.com/rahishpithampurifans
http://ittehadeadab.blogspot.in/?m=1
0 comments: