शनिवार, 11 फ़रवरी 2017

बनाता हूं

तसव्वुर मे सही लेकिन अजब मंजर बनाता हूं
मैं काग़ज़ के सिपाही काटकर लश्कर बनाता हूं
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इमारत की सभी ईंटें लहू से सींचकर अपने
अमीर - ए - शहर तेरे वास्तें मैं घर बनाता हूं
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खयालों का मैं अपने मालिको मुख्तार हूं साहेब
सभी मसनदनशीं को ख्वाब मे नौकर बनाता हूं
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किसीको क़त्ल करने का है मेरा मुख़्तलिफ़ जज़्बा
मै पानी को जमा कर बर्फ के ख़ंजर बनाता हूँ
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तुम्हारी नफरते जायज नही मेरी गरीबी पर
तुम्हारी कार के अक्सर मैं ही पंचर बनाता हूं
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✒...... RAEES BASHAR...
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