क्या हंसी यार कि सूरत है नज़ाकत क्या हैं ।
कोई पूछें मेरे दिल से मेरी हालत क्या हैं ।
.
यार की बाहों में मदहोश हुए बैठा हूँ,
अब मुझे होश में आने कि जरूरत क्या है
जरूरत क्या है


क्या हंसी यार कि सूरत है नज़ाकत क्या हैं ।
कोई पूछें मेरे दिल से मेरी हालत क्या हैं ।
.
यार की बाहों में मदहोश हुए बैठा हूँ,
अब मुझे होश में आने कि जरूरत क्या है
![]() |
प्रेम का एहसास
|
घड़ियां तवील खौफ़ की बारिश मे कट गई
फिर एक रात मौत की ख्वाहिश मे कट गई
.
दुनियां से भाई - चारा निभाने के बावजूद
गर्दन हमारी आपसी रंजिश मे कट गई
.
इक दिन मिला ना वक्त इबादत के वास्तें
मेरी पतंग ए उम्र नुमाइश मे कट गई
.
.......... RAEES BASHAR
.
http://www.facebook.com/rahishpithampurifans
http://ittehadeadab.blogspot.in/?m=1 —

मेरे आगाज़ का अंजाम जरूरी तो नही
आप के साथ मेरा नाम जरूरी तो नही
.
था मेरे दम से चराग़ाँ कभी बाज़ार मगर
अब भी ऊंचा हो मेरा दाम जरूरी तो नही
.
जिस के मैैं नाम से बदनाम हूं वो मेरी तरह
हो मेरे नाम से बदनाम जरूरी तो नही
.
........... Raees BasHar
.
http://ittehadeadab.blogspot.in/?m=1

ज़ख़्मी ज़ख़्मी है जिगर लब पे तरफ़दारी है
ये मुहब्बत भी अजब तरह की बीमारी है
.
मेरी ग़ज़लों में सिवा इश्क़ के कुछ खास नही
खास तो आपके पढ़ने की अदाकारी है ।
.
वो बहुत देर तलक राह नही देखेंगे
जल्दी आ जाओ मेरे दफ़्न की तैयारी है ।
.
रोज़ आ जाते है यादों की ये मय्यत लेकर
अब भी नींदों पे वो ख़्वाबों का सितम जारी है
.
क्यूं किसी और के शेरों में कमी ढुंढें "रईस"
तेरे शेरों में भी उस्ताद की फनक़ारी है ।
.
✒ .....Raees BasHar....
http://www.facebook.com/rahishpithampurifans
http://ittehadeadab.blogspot.in/?m=1

नकाबपोश भी जलवे दिखा के चलते है
अजीब शौक है पर्दा उठा के चलते है
.
हरेक शय हुई है खाक दीद से उनकी
नसीब हम भी चलो आजमा के चलते है
.
तमाम जिंदगी पैरों में रौंदते वाले
ज़नाज़ा कद के बराबर उठा के चलते है
.
गिरे हुए को उठाना है मुखतलिफ जज्बा
उठे हुए को तो सारे गिरा के चलते है
.
अजीब सा नया फैशन चलन मे आया है
शरीफ लोग भी काॅलर चडा के चलते है
.
✒.... RAEES BASHAR
तसव्वुर मे सही लेकिन अजब मंजर बनाता हूं
मैं काग़ज़ के सिपाही काटकर लश्कर बनाता हूं
.
इमारत की सभी ईंटें लहू से सींचकर अपने
अमीर - ए - शहर तेरे वास्तें मैं घर बनाता हूं
.
खयालों का मैं अपने मालिको मुख्तार हूं साहेब
सभी मसनदनशीं को ख्वाब मे नौकर बनाता हूं
.
किसीको क़त्ल करने का है मेरा मुख़्तलिफ़ जज़्बा
मै पानी को जमा कर बर्फ के ख़ंजर बनाता हूँ
.
तुम्हारी नफरते जायज नही मेरी गरीबी पर
तुम्हारी कार के अक्सर मैं ही पंचर बनाता हूं
.
✒...... RAEES BASHAR...
.
http://www.facebook.com/rahishpithampurifans
http://ittehadeadab.blogspot.in/?m=1
चाँद को छत पे अपनी बुला लीजिये
आप पहलू में उनको बिठा लीजिये
.
अच्छी लगती नही बद्लियां चाँद पे
अपने चैहरे से जुल्फें हटा लीजिये
.
दर्द दहलीज़ पर छोड़कर हम चले
आखिरी खत हमारा उठा लीजिये
.
रूह से रूह होती नही रू-ब-रू
जिस्म को दरमियां से हटा लीजिये
.
इक वरक़ पर लिखा जो मैने लफ़्ज़-ए-इश्क़
उतरा काग़ज़ पे रंग-ए-हिना लीजिये
.
✒......... *Rais pithampuri*