गुरुवार, 22 दिसंबर 2016

मा

मुहब्बत माँ कि बन के दाएँ बाएँ साथ रहती है
मैं जब घर से निकलता हूं दुआएँ साथ रहती है
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सफर तन्हा नही होता बुजुर्गो के बुढ़ापे का,
जवानी से बुढ़ापे तक दवाएँ साथ रहती है
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बुरा जब वक्त आता है सभी दिल तौड जाते है,
मगर जैसे भी हो हालात माएँ साथ रहती है
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चली जाती है माएँ एक दिन हो जन्नती लेकिन
हमारे बीच  उनकी  दाश्ताएँ  साथ रहती है
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#_____Rais_pithampuri
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