शनिवार, 14 नवंबर 2015

रोज़ एक शायर आज अंकित कुमार

                            ittehad~e~Adab  इत्तेहाद~ऐ~अदब महफ़िल
रोज़ एक शायर आज #अंकित_कुमार
हर रिश्ते से नाता टूटा हर रिश्ते मे अकुलाहट लगी !!
जब उसके दरवाजे पे किसी और की बारात लगी !!

लगने लगे वादे सब झूठे, झूठी उनकी हर बात लगी !!
जब उनके हाथो मे मेहदी ना अंकित नाम लगी !!

लगी टूटने ख्वाब हमारी फूटी हमारी घर बार लगी !!
जब उनके माँगो मे सिन्दुर ना अंकित नाम लगी !!

झूठे लगे हमे इश्क मोहब्बत झूठी प्यार की बात लगी !!
जब उनके दरवाजे पे किसी और की बारात लगी !!

झूठी लगी वो हमको झूठी उनकी हर बात लगी !!
जब हमारे आँसू उनको खुशियों की सौगात लगी !!

झूठी लगी वो पल सुहाने झूठी हमको हर शाम लगी !!
जब उनके हाथो पे किसी और की हाथ लगी !!
-::-अंकित::-

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