शनिवार, 22 अगस्त 2020

YADGAAR

जब कुल्हाड़ी से कटा जंगल में लकड़ी का बदन 
तब कहीं जाके बना काग़ज़ पे चिट्ठी का बदन
उम्र भर दूरी बना रक्खी थी मिट्टी से मगर
बाद मरने के मिला मिट्टी में मिट्टी का बदन
.
बेटी ने ऐसा भी, जाने क्या लिखा ससुराल से
आंसुओ से धो दिया है माँ ने चिट्ठी का बदन
होके पलकों में गिरफ्तार गले मिलती हैं
आंखें आंसू से कई बार गले मिलती हैं
.
अब सगे भाई से भाई यूं गले मिलता है 
जैसे तलवार से तलवार गले मिलती हैं
.
 
खंजर दिखा के सबको लगाते थे धार हम
गर्दन हमारी आपसी रंजिश मे कट गई

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