बुधवार, 26 अक्तूबर 2016

देखते है

नजर को मिलाकर नजर देखते है |
मुहब्बत का अपनी असर देखते है |
.
थी जिनकी निगाहों मे बेखौफ चाहत,
उन्हीं की निगाहों मे डर देखते है |
.
हमे दिल से अपने भुला देने वाले,
तेरे ख्वाब हम रातभर देखते है |
.
कई दर्द हमने किताबों में लिक्खे,
मगर लोग खाली कवर देखते है |
.
मुनासिब नही बिन तेरे जिंदगी अब,
वो कब यूं कहें उम्र भर देखते है |
.
है  काँटों  भरी  ज़िन्दगी  ये  हमारी,
मगर हम खियाबाँ में घर देखते हैं |
.
सहम जाती है धड़कने मेरी उस पल,
उसे हम जहा भी जिधर देखते है |
.
मेरे नैन अब भी "कविता" का रस्ता,
सुबह शाम और दोपहर देखते है |
.
मेरी मौत पर कौन कितना है रोया,
उन्हें जब लगेगी खबर देखते है |
.
"रईस" कोई उम्मीद उनसे न रक्खो,
मुहब्बत में जो रहगुजर देखते है |
.
ख़ियाबां= पुष्पवाटिका, फूलों की क्यारी
.
http://www.facebook.com/rahishpithampurifans
http://ittehadeadab.blogspot.in/?m=1
http://­www.youtube.com/c/­rahishpithampuri

Previous Post
Next Post

About Author

0 comments: