तेरे हुक्म पर इल्तिजा पर लिखूँगा
मैं अब शेर तेरी अदा पर लिखूंगा
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हुकूमत मिली गर मुझे इस जहाँ की
तिरा नाम मैं चन्द्रमा पर लिखूँगा
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बहुत लिख लिया बेवफ़ाई पर मैंने
ग़ज़ल कोई तेरी वफ़ा पर लिखूँगा
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निगाहें झुका कर तेरा मुस्कुराना
सनम तेरी शर्म ओ हया पर लिखूँगा
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तेरा इश्क़ ही अब ख़ुदा है हमारा
मैं जब भी लिखूँगा ख़ुदा पर लिखूंगा
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