दुआ मै हाथ उठतें ही तरंगे लोट आती है |
तेरे दर से दवा बनकर उमंगे लौट आती है |
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गुमां में तैर तो जाती हैं वो ऊँचीं उड़ानों में,
मगर जब शाम होती है पतंगे लौट आती है |
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